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हरेली तिहार कब है – 8 अगस्त 2021, Hareli Tihar Images |
हरेली तिहार खेती किसानी अउ बनि-भूति म रमे लोगन बर तिज-तिहार एक ठीन खुशी के ओढऱ भर नोहय बल्कि अइसन परब अउ रित रिवाज ह समाज म कोनो न कोनो किसम के संदेसा लानथे। मेहनत मजूरी म लगे लोगन ल वइसे बाहिर के दुनियां ले काहीं लेना-देना नइये अपन काम ले काम, अऊ खुशी मनाही तभो अपने मन मुताबिक। इही सेती किसनहा भुइयां छत्तीसगढ़ के सबो तिज तिहार कोनो न कोनो परकार ले खेती किसानी ले ही जूरे रिथे। छत्तीसगढ़ म असाढ़ के दूसर पाख ले पानी दमोरे के सुरू हो जथे, इहां के कतको लोगन मन गरमी के दिन म कन्हार ल अकरस जोतई कर डारथे। एक सरवर पानी परीस ताहन धान ल बो डरथे। अब मौसम के ऊंच निच के सेती बोवई कभू-कभू पिछड़ जथे।
सावन तक एक्का दूक्का के छोड़े बोवई पूरा हो जथे। सावन के महीना किसान मन बर गजब खुशयाली लाथे। काबर कि पानी के टिपिर-टिपिर झड़ी संग तिहार ह घलो ओरी-ओरी ओरिया जथे। सबले पहिली आथे हरेली, येहा छत्तीगसढ़ के परमुख तिहार आय। किसान मन अपन नांगर बक्खर के पूजा करथे, लइका मन गेड़ी के मजा लेथे, गांव के सियानहा मन गांव के सुख समृद्धि बर डिह डोंगरी के देवता मन ल मनाथे। गांव के चरवाहा मन माल-मवेशी मन के बढ़वार अउ रोग-राई टारे बर दइहान म गरवा मन ल कंदइल(दवई) अउ लोंदी खवाथे। पाहटिया ह घरो-घर लीम के डारा खोचथे। तन मन ल निरोगी करे रखे म लीम के महत्ता ल तो डॉक्टर बईद सबो जानथे। जवान मन के झिमिर-झिमिर पानी म नरियर फेकउल। गेड़ी दउड़ अउ नरियर जीत। लोक परंपरा के धरोहर गठियाए सियन्हिन मन लइका सियान सबो पर रोटी-पीठा रांधथे अउ हरेली परब ल गजब हॉसी खुशी ले मनाथे।
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Hareli Tihar Images |
Hareli Tihar Kab Hai
- त्यौहार का नाम – हरेली तिहार, गेड़ी तिहार , हरियाली तिहार।
- परंपरा/सस्कृति – छत्तीसगढ़ी संस्कृति
- हरेली तिहार कब है – 8 अगस्त 2021
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Hareli Festival 2021
हरेली तिहार - Hareli Tihar हमारे छत्तीसगढ़ का पहला और बहुत ही खूबसूरत त्यौहार है , जिसे हम छत्तीसगढ़ वासी प्रतिवर्ष सावन महीने के अमावस्या तिथि में बड़ी धूम धाम से मनाते है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति और छत्तीसगढ़ का पहचान Hareli Tihar है क्योंकि यह किसानो का त्यौहार है। यह त्यौहार अत्यंत लोकप्रिय त्यौहार है जिसे हम छत्तीसगढ़ वासी Hareli Tihar , गेड़ी तिहार , हरियाली तिहार और हरेला त्यौहार का नाम देते है। Hareli Festival के दिन किसान खेती के समस्त औजार जैसे - नागर , कुदारी , हसिया , गैंती , रापा , आदि का साफ़ सफाई करके तथा साथ ही साथ बैलों और गायों को स्नान कराके उनका पूजा अर्चना करते है। Hareli के दिन घर की माताएं (माँ, दादी , भाभी , चाची ) सुबह से उठ कर चाँवल का चीला बनती है , जिसे खेती के सभी औजारों का पूजा करते समय चढ़ाया जाता है। साथ ही घर के छोटे - छोटे बच्चों के लिए गेड़ी का निर्माण किया जाता है। इस पावन अवसर पर प्रत्येक जगहों पर गेड़ी , बैलों का दौड़, कबड्डी , जलेबी दौड़ , नारियल फेक और तरह - तरह के खेलो का आयोजन किया जाता है। यही कारण है की यह त्यौहार हरियाली , खुशयाली और प्रेम का पर्व हरेली कहलाता है। आप सभी से अनुरोध है कि इस छत्तीसगढ़ राज्य हरेली तिहार की जानकारी को अपने दोस्तों को Whatsapp अन्य सोशल नेटवर्क पर अधिक से अधिक शेयर करें और उनको भी जानकारी मिल सके।
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गेड़ी- हरेली तिहार ह किसान मन के तिहार आय त भला किसान के लइका मन कइसे तिहरहा मजा दे दूरिहा रही। ये दिन गेड़ी खाप के लइका मन गली खोर के चिखला माटी म चभरंग-चभरंग रेंगत रिथे। गेड़ी बांस के बनाय जाथे जेकर लंबाई चार हाथ ले बारा हाथ तक के घलो होथे। गेड़ी चघइया के सोहलित के मुताबिक गेड़ी बनाय जाथे, नान्हे लइका या नवसिखिया बर नानकुन अउ हूसियार लइका मन बारा-चौदह हाथ के गेड़ी के चड़थे। गेड़ी बनाय बर बॉस अउ बूच रस्सी के जरूरत होथे। पांव रखे बर पउवा ल बांस के बिचो-बिचो खिला म अटका के ओकर निचे नेकवा लगा के बूच के रस्सी से बाधे जाथे। गेड़ी चघईया मन गेड़ी म रेंगत खानी गेड़ी ले रचरिच-रचरिच आवाज निकाले बर बूच म अंडी या सरसो, माटी तेल डारथे, बिच म केश डारे ले घलो गेड़ी ले चमचमहा आवाज निकलथे। गेड़ी के बिसे अभी तक हमर अंचल म कोनो पौराणिक कथा या किवदंती तो सुनऊ म नइ आय हे। हरेली म गेड़ी के बनाय अउ गेड़ी रेंगे के पाछू कारण का होही ये मरम ल जानबो तव गजब अकन गोठ निकलथे। हरेली ह सावन के महीना म आथे।
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Hareli Tihar Images |
सावन संग आगे तिहार के झड़ी,
धोवव नांगर-बक्खर अउ मचव गेड़ी।
आगे हरेली... आगे हरेली।।
Hareli Tihar Images
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