14 July 2021

cg shayari - Latest 500+ Best chhattisgarhi shayari 2021

cg shayari 

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 Best chhattisgarhi shayari 2021

स्वीट-स्वीट तोर गोठ गोरी दिल ल
“झटका” देथे ओ, 
मया के बीच मजधार म
मोला “अटका” देथे ओ !


बिहा म नाचत हे टुरी
हाई साउंड के बाजा मा
जइसे कोई नाचे नहीं
“छालीवुड” के नाचा मा !


जंगल के भीतर टुरी 
बघवा के डेरा ओ
 आजा समा-जा छाती म
खुल्ला हे बईहाँ के घेरा ओ 


झुलना मा बईठ के टुरी
मया के गाना गावय जी
अन्ते-तन्ते गावत रईथे
सारे गामा नई आवय जी !

सुनतहस किनी मोर दिल के
धड़कन ल कईसे धडकत हे
हाई बीट म मोर मयारू
मोर पिरोही तैं बईठे हावस
करेजा वाले सीट म

तहिं हवस मोर मया के रानी, तहिं मोरे संसार ओ।
तोर बिना मोर जग अंधियार, तहिं जिये के आधार ओ।।
😘😘😘😘


करले मोर से मया तैं मन मिलाके, 
धोखा झन देबे अपन बनाके।
जियत भर ले संगे म रखले, 
फेर मत कहिबे लच दिस हिरदे म समाके।।
💞💞💞💞💞


चन्दा सुरुज के उवत-बूड़त ले, रहिबो संगे साथ म।
गिर जहूँ कहूँ जिनगी के डगर म, रखबे हाथे हाथ म।।
💝💝💝💝💝


घेरी बेरी तोर पारा जाथौं, तोला देखे के बहाना।
तैं भर अनजान बने हस, फेर जानत हे पूरा जमाना।
💖💖💖💖💖


मोर घर-कुरिया के बन जा देखईय्या 
अउ एक घांव बोलदे सईंया,
तोर इही गोठ ल सुने बर
कई जनम ले तरसत हंव गुईयां !


कईसे मया होगे तोर संग मयारू
 जइसे बंजर भुइंया हरियागे 
न सोना कस मोर गोरा बदन ह
 करिया लोहा कस करियागे न 


नसा चढ़े हे मोला मया के 
तोर कतको उतारे नइ उतरय
ओ तोला मिले से पहिली 
नीमगा रेहेंव खुद ल
अब कतको सुधारेंव नइ सुधरय ओ !


हुस्न पे फ़िदा हो जाना, टुरा मन के धरम होथे,
डबल रोटी ले ज्यादा चीला रोटी नरम होथे,
टुरी ल एक्केला जान के झन छेकबे बेटा,
कबर की आजकल टुरी मन फट- फ़टी के सायलेंसर से भी ज्यादा गरम होथे। 


पानी ला देख के प्यास लागथे,
दूसर के शादी ला देख के अपनों आस जागथे।
तुमन ला कइसे समझावव संगवारी हो,
हर झक्कास टुरी के दाई ह मोला अपन सास लागथे। 


 नाम तोर अइसे लिख डारे हव मैं,
 अपन वजूद मा कि,
 तोर नाम के भी कोई मिल जाथे ता,
 तभो मोर दिल❤ ह धड़क जाथे। 


लहुट लहुट के झन देख टुरी,
 हपट के गिर जाबे। 
 छत्तीसगढ़िया के लुक अइसने हे,
 हार्ट अटैक मा मर जब। 


माया देदे अउ माया लेले,
 अरे माया देदे अउ माया लेले। 
 कब तक ये ऑफर है चलही,
 में नई रहु न तोला मोरेच कमी खाल्हि।
 में तो माया करत रहु, अरे में तो तोला माया करत रहु ज़िन्दगी भर,
 जब तक मोर ज़िन्दगी कर मोमबत्ती जलहि। 


ना धन दौलत, ना जरूरत हे मोला चाँद तारा के,
ज़िन्दगी जिये बर जरूरत मोला तोर माया और सहारा के। 


काबर दिल धड़कते, कइने करार खो जथे। 
टोला देखेंव त जानेव, कइसे प्यार हो जथे। 


मोर आँखी तरसत हे, तोला देखे बर,
मोला आदत होंगे हे इंतज़ार के,
अब आ भी जा ओ मोर दिलबर,
रुत आने वाला हे बहार के। 


तोर आँखि कभु नम झन होतिस,
ज़िन्दगी म कभु गम झन होतिस,
भगवन करतिस तोला दुःख झन मिलतिस,
अउ खुशी कभू कम झन होतिस।


अपन खूबसूरती के राज तो बता,
 चेहरा म तैं का लगाथस ओ,
 ये फैरलोवेली के कमल हरे,
 ते लक्स से नहथस ओ। 


मन के मंदिर म सजे हे मुरत ह तोर,
 आँखी म बसे सूरत ह तोर,
 हर दुआ में भावन से तूही ला मांगथों,
 मोला जिए बर जरूरत हे तोर। 


गुलाब के जइसन गुलाबी होंट,
 बंगाल जइसे लाल हे तोर गाल,
 का खथस टुरी महुला बतादे,
 लगते ये चवनप्रास के हरे कमाल। 


गोल चेहरा गाल गलबी,
 आँखी हे तोर कजरारी,
 होंट कमल के फूल सही,
 लागत हे अब्बड़ प्यारी। 
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छत्तीसगढ़ी शायरी


1.बांमी नही टेंगना, इही हमर रेंगना।
   कांड़ी नही मूसर, तै नही दूसर।।

2.तोर बिना मोर कंचन काया, जर के होवत हे खुवार।
आजा संगी ले के बारात,ले जा अपन दुवार।।

3.मैं तोर से मया करेंव अबला समझ के ।
   तोर दद ह मारीच मोला तबला समझ के ।।

4.तोला पाए के सपना रात म,बिहनिहा सुरता बहुत सतावत हे।
एक एक दिन एक साल बरोबर,गिन गिन दिन ह पहावत हे।

5.मोर पाछू झन पड़ एक दिन बहुत पसताबे।
  मोर कालेज के आघू म चाट के ठेला लगाबे।।

6.जादा तैं झन इतरा एक दिन बहुत पसताबे।
    मोर चाट के ठेला म बरतन धोये ल आबे।।

7.दिया अधूरा हे बाती के बिना ,नदिया अधूरा हे पानी के       बिना।
 जिनगी अधूरा हे साथी के बिना ,अउ मैं अधूरा हौं तोर बिना।।

8.तोर मया के बोली खातिर सुधबुध में ह गवां गेंव।
  बिना पानी के मछरी बरोबर तड़प के में ह अधिया गेंव।।

9.जादा झन कर न रूप के गुमान मोर चिरइया।
 चार दिन के चांदनी फेर नई रहय कोनो पूछईया।।

10.तोला  देखे बर घेरिबेरी तोर पारा में ह जाथौं।
  कतका उदिम करथौं तब एक झलक ल पाथौं।।

11.तोर सुरता के आंसू म, मोर सपना ह धुला गे।
   कोन तोला भरमाइस ,करे वादा ल तैं भूला गे।।

12.मन करथे तोर मया के छइहा म अइसने जिनगी बितातेंव।
    एक जनम के बात कोन कहै सातो जनम निभातेंव।।

13 .लेके गड़वा बाजा संगी तोर घर मैं आहूं
    भाँवर पराके संगी तोला मैं ले जाहूं।।

14.करले तै भरेसा संगी मन म तोला बसाहुँ।
    आँखि आँखि म झूलत रथस रानी तोला बनाहुँ।।

15.तोर मया के सुक्खा तरिया म मछरी कस तड़पत हौ।
     कहां तैं लुकागे रे पगली गली गली म भटकत हौ।।

16.करे रेहे वादा जियत भर नई छोड़व कहिके।
     तोर बिना मोर कोन हे का करहुं दुनिया म जीके।।

17.दूसर के मया म मोला भुला गेय।
     हँसाये के वादा करके धर-धर आंसू रोवा देय।।

18.दुरस संग बिहाव रचाए मोर दुनिया म आगी लगाए।
     जा मोर कलपना धरही तोला धोखा दे के मजबूरी बताए।।

19.जा सुख से जिनगी बिताबे ,फूल कस जीवन माहकय     तोर।
  ए मयारू के दुआ हे ,तोर बांटा के कांटा घलो हो जावय मोर।।

20.मोर सहीं मयारू, नई मिलय तोला दुनिया म।
     झन कर तैं आनाकानी, आजा मोर बइंहा म।।

21.जारे धोखेबाज तहूँ एक दिन धोखा खाबे।
     मया करईया डिड़वा ल छोड़ काखर मेर जुड़ाबे।।

22.दिल के दरद ल काला बतावव कोनो नई हे सुनईया।
    ओहू मोला धोखा देदिस जेन एक झन रहिस पूछईया।।

23.अब तो आजा बइहा म कलप कलप के बलावत हौं।
     छोड़ दे दुनियादारी संगी तोर मया के जोत जलावत हौं।।

24.तोर कारन मैं सब ला छोड़ेव घर दुवार परिवार।
      तोर मया म बइहा होके किंजरेव खारेखार।।

25.ए दुनिया म दाई दद ल छोड़, कोनो नई आवय काम।
       इखरे चरन म  काबा कासी ,इही हें चारो धाम।।

26.तोर बिना मोर जग अंधियार, सुन्ना हे अमरइया।
   दोहडू फूल कस मुरझा गेंव, सुखागे मया के फुलवरिया।।

26.धोखा देके मारे करेजवा ल बना दिल के पीरा होगे अपार।
     अब तो साथी कोनो नई हे मोर जीना होगे बेकार।।

27.तोर बिना मोर मन हे उदास बासी फूल कस मुझावत हौं।
  अब तो आजा रे नीरदइया तोला मैं गोहरावत हौं।।

28.हीरदय म करके चल देहे घांव कब आबे मोरे गांव।
   देखत रहीथौं मैं तोर रस्ता ओ बइठे पीपर के छांव।।

29.हिरनी सहीं तोर बोली रे गोरी सुवा सहीं तो बैना।
   कारी नागिन सहीं घपटे चुन्दी कजरारी तो नैना।।

30.ए गोरी नारी ओ अटल कुंवारी ओ बनजा मोरो सुवारी ओ।
तोला घुमाहूं नवा दुनिया बसाहुँ करले मोरो चिन्हारी ओ।।

31.दिल म करके चल देये घांव कब आबे मोरे गॉंव।
देखत रहीथौं मैं तोर रस्ता ओ बइठे पीपर के छांव।।

32.जादा झन कर न रूप के गुमान ।
चार दिन के चांदनी फेर अंधेरी रात।।

33.मोर मया ल तैं नई समझे ,दूसर के बात म मोला भुलाए।
कोन जनम के बदला चुकाए,धर धर आंसू मोला रोवाए।।

34.खाए रहे किरिया हवै तोर बर पिरिया।
मोर मया ल ठुकरा के बन गे दूसर के तिरिया।।

35.दाई दद ल तियागेन्व गॉव घलो ल भुलागेन्व।
बइहा पगला कस घुमत हौं सपना तको धुलादेंव।।

36.मया पिरित के बंधना म बांधे मन म मोर समागे।
तोर बिना मोर दिन नई पहावय कोन दुनिया म तैं लुकागे।।

37.तोर  हिरदय के तरिया म डुबकी मैं लगा लेतेंव,
तोर अचरा के छइन्हा म गोरी जिनगी घलो बिता लेतेंव।
एक जनम ल कोन कहै सातो जनम निभातेंव मैं,
एक बार तैं हां कहिदे बिछे खटिया म जेवन करातेंव मैं।।

38.आँखी तोर तीर बरोबर, कमल फूल कस मुस्कान हे।
सांप सहीं तोर बेनी गोरी,टमाटर कस तोर गाल हे।।

39.तोर मया म बइहा होगेंव अन पानी नई सुहावते।
कब तैं ह मोर से बिहाव करबे दिन ह नई पहावते।।

40.तोला देखे बिना मन नई मानय, दउड़ दउड़ के आथों तोर पारा।
तोर दद ल ससुर बनाहूं, तोर भाई ल मोर सारा।।

41.जालिम हे दुनिया, बैरी हे जमाना।
चल न दुनों झन भाग चली, झनकर न बहाना।।

42.अरे मोर मयारू दौनापान,डोहड़ू फुलकस तोर मुस्कान।
तोर इही अदा म मैं मोहागेंव, गौकिन, सिरतो, इमान।।

43.तोर घर मोर मंदिर ,तैं मोर देंवता।
मैं तो हामीं भर देवँ जी, भेजवादे अब नेवता।।

44.नजरे नजर म तैं बसगे,काम बुता म मन नई लागय।
तोला लगथे मैं मया नई करौं,रात रात भर आँखि जागय।।
 
45.का करौं मोर मयारू, सुरता तोर सताथे।
काम बुता म मन नई लागै, रतिहा लटपट पहाथे।।

46.तोर जइसे मोरो हाल हे, लटपट रात पहाथे।
बाजागाजा ले के आजा,नई तो लेजा मोला भगाके।।

47.दुनिया के तैं भूख मिटाए,जन-जन के तैं मितान।
तोर कइसे करजा चुकाहूँ ग,मोर देश के करमठ किसान।।

48.पानी बादर घाम ल सही के, उपजाथच तैं अनाज।
तोरे करम के  बल म भईया, आघू बढ़थे समाज।।

49.हरियर हरियर लुगरा पहिरे,ईहां के फसल हे तोर चिन्हारी।
आनी बानी के गहना पहिरे, जय हो मोर छत्तीसगढ़ महतारी।।

50.फिरि के मोबाइल संगी,दु रुपया किलो चाउंर खाथौं।
कमा लेथों एको दु रुपया त ,सांझ कन पउवा मार के आथौं।।

51.भारत माता के हम बेटा, देश आघू बढ़ाबो।
स्कूल जाबो पढ़बो लिखबो,दुनिया म नाम कमाबो।।

55.दाई के मोर अचरा के छईंहा,दद के मया अपार ।
इंखरे सेवा कर ले रे संगी,हो जाही तोर बेड़ा पार।।

56.छोड़ मोला तैं शादी रचाये ,पति संग दुनिया बसाये ओ।
बरस बीते बाद तैं आ के, मिटे घांव ल फेर से जगाए ओ।।

57.कांटा बोंके के मोर रसता म,उखरा पाँव रेंगाए ओ।
सादी करे तैं दूसर के संग म,मोर नाम के मेहंदी लगाए ओ।।


58.कतका घूमेंव तोर पाछु म,फेर मुड़ के कभू नई देखे रे।
करे बिहाव मोला ठेंगा दिखाए,थोरको सुध घलो नई लेहे रे।।


59.लसुन के चटनी बोरे भात, सुकसा भाजी जेखर पहिचान ए।
छत्तीसगढ़ी भाखा बोलथौंव संगी,इहाँ के माटी मोर भगवान ए।।

60.पानी बादर घाम पियास ल ,सहीके अन्न उपजाथस ग।
धान के कटोरा मोर छत्तीसगढ़ के ,दुलरुवा बेटा तैं कहाथस ग।।

61.तीजा पोरा आगे संगी ,नानपन के सुरता फेर हरिया गे।
तीजा माने नई आवत हे मयारू,सोंच के  तन करिया गे।।
 
62.चँदा जइसे तोर कंचन काया, हिरनी जइसे चाल हे।
नागिन कस तो कनिहा लचके,कारी घटा तोर बाल हे।।

63.आँखी म तोर मया के सागर, मारत हे हिलोर।
उमड़ घुमड़ तोर रूप ह बरसे, मोर हिरदे म मचाए बिलोर।।

64.सजना बिना सब सुन्ना लागे,करौंव मैं तोला पुकार।
चांदनी रात के दूधिया अंजोर,आजा मोर सरकार।।

65.बारिश बीत गे, चारो कोती छा गे हे बहार।
घर आजा मोर परदेशिया, ये तन होवत हे खुवार।।

66.मोर जिनगी अब बोझा लागे,बेवफा तोर बेवफाई म।
एक दिन तहूँ धर-धर रोबे,याद आहुँ जब तन्हाई म।।

67.मोर गॉव के बुढ़वा पीपर,आमा पेड़ के ठंडा छांव।
मोर छत्तीसगढ़ीन दाई ओ, पखारौंव मैं तोर पाँव।।


68.मैं तोर बादर त तैं मोर पानी,मैं तोर राजा त तैं मोर रानी।
करत हौं वादा नई छोड़वं तोला,संगे संग बिताहूँ जिनगानी।।


69.कइसे कहौं के सुख म,जियत हौं तोर बिना।
सब ओइसने हाल हे, जइसे बिना पानी के मछली के जीना।।

70.मैं जानत हौं तहूँ जियत होबे, तड़प-तड़प के।
मोरो उही हॉल हे, महुँ जियत हौं भटक-भटक के।।

71.माँ हे गंगा माँ हे जमुना,माँ से हे तोर नाम।
एखरे सेवा करले रे भाई,माँ हे चारो धाम।।

72.काम बुता ले थक के आवय तभो ,दद खेलावय तोला बइंहा म।
बाई के आते तैं सब ल भुलागे,कइसे दाई सोवाय तोला अचरा के छाइहा म।।

73.बीते बछर कस तैं ह संगी,भूल ज मोरो नादानी ल।
नवा बछर म मिल के रहिबो,जुग -जुग चलाबो मितानी ल।।
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छत्तीसगढ़ी मया शायरी


1.तहिं हवस मोर मया के रानी, तहिं मोरे संसार ओ।
तोर बिना मोर जग अंधियार, तहिं जिये के आधार ओ।।

2.देखे हौं जब ले तोला गोरी,कुछु मोला नई भावत हे।
मया के का तैं जादू डारे,मोर दिन ह नई पहावत हे।।

3.हिरदे के भीतरी म तोला बसाए हौं,जिनगी ल नाम तोरे लिखाए हौं।
जनम-जनम ले छूटय झन मया के बंधना,तोला आँखी के पुतरी बनाए हौं।।

4.चन्दा सुरुज के उवत-बूड़त ले,रहिबो संगे साथ म।
गिर जहूँ कहूँ जिनगी के डगर म, रखबे हाथे हाथ म।।

5.कान म बाली सोहै तोरे,नाक म नथनी चमकय ओ।
होठ के लाली मन ल मोहय, खोपा गजरा महकय ओ।।

6.नजरे नजर म झूलत रहिथे,मुच ले तोर मुस्काई ह।
कब आबे मोर रानी बनके,घेरिबेरी याद आथे तोर लजाई ह।।

7.तोर मया म सब ल छोडेंव घर दुवार परिवार,
तोर मया बइहा बनके,किंजरेंव खारे खार।
झन तरसा आजा रे निरमोही,जिनगी होवत हे खुवार।।

8.छोड़ मोला चले पिया के दुवारी,टोरे मया के बंधना ल।
सुख म जिनगी पहाबे जा तैं,भुला जाबे मोर सपना ल।।

9. मन म रात दिन सुरता तोरे, गिरथे आँसू बनथे नाम तोरे।
कोनो दूसर ल झन देखय आँखी,तोला देखना एखर काम होगे।।

10.मया के बंधना कतका अजीब होथे, रहिथे दुरिहा म फेर हिरदे के करीब होथे।
मैं ह मया म बरबाद हो गेंव त का,सब अपन अपन नसीब होथे।।

11.मिलहौंव मैं तोर बिछड़े के पहिली,पाहौं तोला खोये के पहिली।
और जिहौं तोर संग मरे के पहिली।।


12.मैं कइसे कहौं के कइसे हौं मैं,फेर एतका जान ले तैं खुश हस त खुश हौंव मैं।।

13.मया करथों अड़बड़ तोला,नई होवय यकीन त पूछ ले सुबह सांझ से।
सिरतो कहत हौं मान ले,ये हिरदे धड़कथे तोर नाम से।।


14.जब आँखी-आँखी आपस म बात करथें,सब कहिथें अइसने मया के शुरुवात होथे।
कुछु काहिं म मन नई लागय,पता नई चलय कब दिन त कब रात होथे।।

15.करले मोर से मया तैं मन मिलाके,धोखा झन देबे अपन बनाके।
जियत भर ले संगे म रखले,फेर मत कहिबे लच दिस हिरदे म समाके।।


16.खुशी ले मन ल जुड़ाये रखबे,दुख म धीरज बांधे रखबे।
फेर तोर से एक ही आशा हे,जीवन भर मया ल साजे रखबे।।

17.दिल के चाहत हे तोला अपन बनाए के,तोर सपना ल अपन सपना बनाए के।
तैं भले मोला अपन झन मान,फेर कसम ले सातो जनम निभाए के।।


18.ओखर साथ म रहत रहत चाहत होगे, ओखर से बात करत करत आदत होगे।
ओ एक मिनट तको नई दिखय त मन उदास हो जथे,
ओखर संग मितानी करत मुहब्बत होगे।।

19.जरूरी नई हे के हर सपना पूरा हो जाय,जरूरी नई नई हे के जेन कल होय हे तेन आज हो जाय।
एक बार तो मया कर ले आज संग म हौं, फेर जरूरी नई हे के जिनगी म कभू  मुलाकात हो जाय।।


20.एक दिन अइसे आवय  मोर मया तोर दिल म समा जाय।
बस तैं अउ मैं रहन, अउ समय तको रुक रुक जाय।।

21.ओ चढ़ा के मया के नशा, अब कथे जादा नशा ठीक नई हे।

22.का बतावँव मोर मयारु कइसे हे,
ओ ह चन्दा जइसे हे,
अरे नही चन्दा ओखर जइसे हे।

23.तोर मया के निशान अइसे छपे हे मोर हिरदे म,न थोरकिन न बहुतकिन कोई हिसाब नई हे।
पूछ मत कतका मया करथस,अतका मया करथों के कोई जवाब नई हे।।

24.रोज छुथे तोर याद रात कन सपना बन के,होत बिहनिहा आथे घाम बन के।
तोर मया के ठंढा पुरवाई,साँझकन आथे छाँव बन के।।

25.तोला भुलाय के बहाना करथौं,फेर भुलावँव कइसे,तोर याद ल हिरदे ले मिटावँव कइसे।
मोर हर खुशी तोर खुशी से हे, फेर अपन मया ल तोला देखावँव कइसे।। 


26.हिरदे के किताब म,गुलाब तोर हे,रातकन सपना म खयाल हे तोरे।
तैं झन पुछबे कतका मया हे तोर बर, मर जाहुँ तोर बिना ये जवाब हे मोरे।।

27.कइसे कहौं तोर सुरता सतावय,कइसे कहौं मोला नींद नई आवय।
तोला लगथे मैं बहाना बनाथौं,कइसे कहौं तोर बिना दिन नई पहावय।।


28.आँखी के तोर काजर गोरी,निंदिया ल तोर चुराथे ओ।
माथा के तोर बिंदिया रे गोरी,रही-रही पगला बनाथे ओ।।

29.घेरी बेरी तोर पारा जाथौं,तोला देखे के बहाना।
तैं भर अनजान बने हस,फेर जानत हे पूरा जमाना।


30.मया बढ़ाए जिये ल सिखाए,मोर हिरदे के कुरिया म तैं जघा बनाए।
कहाँ चले गये आश बंधाके, महुँ आवत हौं संग लगा ले।।

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